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Shani Stotra - दशरथकृत शनि स्तोत्र से करें शनिदोष से मुक्ति।

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When performed correctly, Shani Mantras are powerful and are said to bring about great benefits in our life. The regular singing of Shani stotram is supposed to improve our health and safeguard us from illness. The Shani stuti can be performed to induce mental calmness and profound relaxation. According to legend, King Dasharatha composed the Shani Stotra, a hymn that appeased Shani Dev.

Shani Dev is commonly known as the arbiter. Every Saturday, the Dashrathkrit Shani Stotra should be performed to mitigate the consequences of Shani's Sade Sati. This act is thought to please Shani Dev, guaranteeing that his blessings be lavishly poured upon them.

यदि सही ढंग से किया जाए, तो शनि मंत्र शक्तिशाली होते हैं और कहा जाता है कि ये हमारे जीवन में महान लाभ लाते हैं। शनि स्तोत्र का नियमित गान हमारी स्वास्थ्य में सुधार करता है और हमें बीमारियों से बचाता है। शनि स्तुति का पाठ मानसिक शांति और गहरी विश्राम की प्रेरणा कर सकता है। किंवदंती के अनुसार, राजा दशरथ ने शनि स्तोत्र रचा था, एक स्तोत्र जिसने शनि देव को प्रसन्न किया।

शनि देव को सामान्यतः न्यायाधीश के रूप में जाना जाता है। हर शनिवार, दशरथकृत शनि स्तोत्र का पाठ किया जाना चाहिए शनि के साडे साती के परिणामों को कम करने के लिए। इस कार्य का मान्यता है कि यह शनि देव को प्रसन्न करता है, जो सुनिश्चित करता है कि उनकी कृपा उन पर समृद्ध रूप से बरसाई जाए।

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दशरथकृत शनि स्तोत्र

दशरथकृत शनि स्तोत्र

दशरथ उवाच:

प्रसन्नो यदि मे सौरे ! एकश्चास्तु वरः परः ॥

रोहिणीं भेदयित्वा तु न गन्तव्यं कदाचन् ।

सरितः सागरा यावद्यावच्चन्द्रार्कमेदिनी ॥

 

याचितं तु महासौरे ! नऽन्यमिच्छाम्यहं ।

एवमस्तुशनिप्रोक्तं वरलब्ध्वा तु शाश्वतम् ॥

 

प्राप्यैवं तु वरं राजा कृतकृत्योऽभवत्तदा ।

पुनरेवाऽब्रवीत्तुष्टो वरं वरम् सुव्रत ॥

 

दशरथकृत शनि स्तोत्र

नम:  कृष्णाय नीलाय शितिकण् निभाय च।

नम: कालाग्निरूपाय कृतान्ताय च वै नम: ॥1॥

 

नमो निर्मांस देहाय दीर्घश्मश्रुजटाय च ।

नमो विशालनेत्रय शुष्कोदर भयाकृते॥2॥

 

नम: पुष्कलगात्रय स्थूलरोम्णेऽथ वै नम:।

नमो दीर्घायशुष्काय कालदष्ट्र नमोऽस्तुते॥3॥

 

नमस्ते कोटराक्षाय दुख्रर्नरीक्ष्याय वै नम: ।

नमो घोराय रौद्राय भीषणाय कपालिने॥4॥

 

नमस्ते सर्वभक्षाय वलीमुखायनमोऽस्तुते।

सूर्यपुत्र नमस्तेऽस्तु भास्करे भयदाय च ॥5॥

 

अधोदृष्टे: नमस्तेऽस्तु संवर्तक नमोऽस्तुते।

नमो मन्दगते तुभ्यं निरिस्त्रणाय नमोऽस्तुते ॥6॥

 

तपसा दग्धदेहाय नित्यं योगरताय च ।

नमो नित्यं क्षुधार्ताय अतृप्ताय च वै नम: ॥7॥

 

ज्ञानचक्षुर्नमस्तेऽस्तु कश्यपात्मज सूनवे ।

तुष्टो ददासि वै राज्यं रुष्टो हरसि तत्क्षणात् ॥8॥

 

देवासुरमनुष्याश्च सि विद्याधरोरगा: ।

त्वया विलोकिता: सर्वे नाशंयान्ति समूलत:॥9॥

 

प्रसाद कुरु मे देव वाराहोऽहमुपागत ।

एवं स्तुतस्तदा सौरिर्ग्रहराजो महाबल: ॥10॥

 

दशरथकृत शनि स्तोत्र - Hindi 

दशरथकृत शनि स्तोत्र - Hindi 

हिन्दी पद्य रूपान्तरण

हे श्यामवर्णवाले, हे नील कण् वाले।

कालाग्नि रूप वाले, हल्के शरीर वाले॥

स्वीकारो नमन मेरे, शनिदेव हम तुम्हारे।

सच्चे सुकर्म वाले हैं, मन से हो तुम हमारे॥

 

स्वीकारो नमन मेरे।

स्वीकारो भजन मेरे॥

हे दाढी-मूछों वाले, लम्बी जटायें पाले।

हे दीर्घ नेत्रवाले, शुष्कोदरा निराले॥

 

भय आकृतितुम्हारी, सब पापियों को मारे।

स्वीकारो नमन मेरे।

स्वीकारो भजन मेरे॥

हे पुष्ट देहधारी, स्थूल-रोम वाले।

कोटर सुनेत्र वाले, हे बज्र देह वाले॥

 

तुम ही सुयश दिलाते, सौभाग्य के सितारे।

स्वीकारो नमन मेरे।

स्वीकारो भजन मेरे॥

हे घोर रौद्र रूपा, भीषण कपालि भूपा।

हे नमन सर्वभक्षी बलिमुख शनी अनूपा ॥

 

हे भक्तों के सहारे, शनि! सब हवाले तेरे।

हैं पूज्य चरणतेरे।

स्वीकारो नमन मेरे॥

हे सूर्य-सुततपस्वी, भास्कर के भय मनस्वी।

हे अधो दृष्टि वाले, हे विश्वमय यशस्वी॥

 

विश्वास श्रध्दा अर्पित सब कुछ तू ही निभाले।

स्वीकारो नमन मेरे।

हे पूज्य देव मेरे॥

अतितेज खड्गधारी, हे मन्दगति सुप्यारी।

 

तप-दग्ध-देहधरी, नित योगरत अपारी॥

संकट विकट हटा दे, हे महातेज वाले।

स्वीकारो नमन मेरे।

स्वीकारो नमन मेरे॥

नितप्रियसुधा में रत हो,

अतृप्ति में निरत हो।

हो पूज्यतम जगत में, अत्यंत करुणा नत हो॥

 

हे ज्ञान नेत्र वाले, पावन प्रकाश वाले।

स्वीकारो भजन मेरे।

स्वीकारो नमन मेरे॥

जिस पर प्रसन्न दृष्टि, वैभव सुयश की

वृष्टि।

वह जग का राज्य पाये, सम्राट तक कहाये॥

 

उत्ताम स्वभाव वाले, तुमसे तिमिर उजाले।

स्वीकारो नमन मेरे।

स्वीकारो भजन मेरे॥

हो व दृष्टि जिसपै, तत्क्षण विनष्ट होता।

मिट जाती राज्यसत्ता, हो के भिखारी रोता॥

 

डूबे न भक्त-नैय्या पतवार दे बचा ले।

स्वीकारो नमन मेरे।

शनि पूज्य चरण तेरे॥

हो मूलनाश उनका, दुर्बुध्दि होती जिन पर।

हो देव असुर मानव, हो सिध्द या विद्याधर॥

 

देकर प्रसन्नता प्रभु अपने चरण लगा ले।

स्वीकारो नमन मेरे।

स्वीकारो भजन मेरे॥

होकर प्रसन्न हे प्रभु! वरदान यही दीजै।

बजरंग भक्त गण को दुनिया में अभय कीजै॥

 

सारे ग्रहों के स्वामी अपना विरद बचाले।

स्वीकारो नमन मेरे।

हैं पूज्य चरण तेरे॥

Dashratha Shani Sotra Lyrics In english 

Dashratha Shani Sotra Lyrics In english 

Dasharath Uvaach:

Prasanno Yadi Me Saure! Ekaschaastu Varah Parah

Rohiniim Bhedayitvaa Tu Na Gantavyam Kadaachan

Saritah Saagaraa Yaavadyaavachandraarkamedini

Yaachitam Tu Mahasaure! Na'nyamichchaamyaham

Evamastushaniproktam Varalabdhvaa Tu Shaashvatam

Praapyaivam Tu Varam Raja Kritkrityo'bhavattadaa

Punareva'abraviittushto Varam Varam Su Vrat

 

Dasharathakrit Shani Stotra:

 

Namah Krishnaya Neelaaya Shitikan Nibhaaya Cha

Namah Kaalaagnirupaaya Krutaantaaya Cha Vai Namah

 

Namah Nir Maans Dehaaya Dheergha Shmashru Jataaya Cha

Namo Vishaala Netraaya Shushkodara Bhayakrute

 

Namah Pushkala Gaatraaya Sthuula Roma'atha Vai Namah

Namo Deerghaay Shushkaaya Kaaladashta Namostut

 

Namaste Kotaraakshaaya Dukhrarnaareekshyaya Namah

Namo Ghoraaya Raudraaya Bheeshanaaya Kapaaline

 

Namaste Sarvabhakshaaya Valeemukhaaya Namostut

Suryaputra Namaste'astu Bhaaskare Bhayadaaya Cha

 

Adhodrishate Namste'astu Samvartak Namostute

Namo Mandagate Tubhyam Niristevaaya Namostute

 

Tapasaa Dagdhadehaaya Nityam Yoga Rataaya Cha

Namo Nityam Shudhaartaaya Atriptaya Cha Vai Namah

 

Jnaanachakshu Namaste'astu Kashyapaatmaja Suneve

Tushto Dadaasi Vai Rajyam Rushto Harasi TatKshanat

 

Devaasuramanushyashcha Sidvidyaadharoragaah

Tvayaa Vilokitaah Sarve Naasham Yaanti Samoolatah

 

Prasaad Karu Me Dev Vadore'v Vishwaroopine

Evam Stutastadaa Saurirgraharajo Maha Balah

Shani Stotra Images And PDF

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Shani Stotra Pdf Free Download

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Frequently Asked Questions

What are the benefits of reading Dashrath Krit Shani Stotra?
What are the benefits of the Shani Stotra path?
Which planet controls Shani?
What is the Favourite Colour of Shani?
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