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Krishna Ji Ki Aarti (आरती श्री बाल कृष्ण जी की)

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Shri Krishna, the eighth avatar of Lord Vishnu, is cherished and celebrated for his divine qualities, enchanting charm, and extraordinary life. The tales of Krishna's childhood, or 'Bal Leela', have captivated the hearts and spirits of devotees worldwide. 

Shri Krishna, the beloved 'Makhan Chor,' was born in the secret chambers of a prison in Mathura to Vasudeva and Devaki. The divine infant was spirited away by his father to Gokul, where he was raised by Nanda Maharaj and Yashoda Maiya as their own son. Krishna's abode in Gokul was characterized by the simple lifestyle of the cowherd community (Gopas and Gopis), setting the stage for his delightful childhood adventures. 

Makhan Chor (माखन चोर)

भगवान कृष्ण को प्यार से "माखन चोर" कहा जाता है, जो एक हिंदी वाक्यांश है जिसका अर्थ है "मक्खन चोर।" यह शीर्षक उनके बचपन के प्यारे किस्से से संबंधित है, जो उनके चंचल स्वभाव और शरारती हरकतों को दर्शाता है। वृन्दावन में एक युवा लड़के के रूप में, कृष्ण ने मक्खन (हिन्दी में माखन) के प्रति अदम्य प्रेम दिखाया। उसके साथी ग्रामीणों के घरों से मक्खन चुराने की अनगिनत कहानियाँ हैं। ये कहानियाँ न केवल कृष्ण के चंचल कृत्यों का प्रतिनिधित्व करती हैं, बल्कि अपने भक्तों के दिलों को मंत्रमुग्ध करने और 'चुराने' की उनकी आध्यात्मिक क्षमता का भी प्रतिनिधित्व करती हैं।

Krishna Janmashtami

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Janmashtami, also known as Gokulashtami or Krishnasthami, is a Hindu festival celebrating the birth of Lord Krishna. This auspicious festival is observed on the eighth day (Ashtami Tithi) of the Krishna Paksha in the Bhadrapad month, typically falling between August and September. Janmashtami is set to be celebrated on Wednesday, September 6, and Thursday, September 7 in 2023. 

From the miraculous tale of his birth to his enigmatic 'leelas,' or divine play during childhood, Krishna's life presents a medley of extraordinary scenarios that personify his divinity. The aarti, a ritual of worship dedicated to him, serves as a manifestation of this divine reverence towards Krishna. His doctrines, steeped in wisdom, devotion, and discernment, continue to inspire countless individuals worldwide, establishing milestones on their path to spiritual progression and enlightenment.

Krishna Ji Ki Aarti Pdf Free Download

Table Of Content

Krishna Bhagwan Ki Aarti

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हे गोपाल कृष्ण करू आरती तेरी

हे प्रिया पति मैं करूं आरती तेरी

हे गोपाल कृष्ण करू आरती तेरी

हे प्रिय पति मैं करूं आरती तेरी

तुझपे ओ कान्हा बलि बलि जाऊं

सांझ सवेरे तेरे गुण गाऊ

प्रेम में रंगी, मै रंगी भक्ति में तेरी

प्रेम में रंगी, मै रंगी भक्ति में तेरी

हे गोपाल कृष्ण करूं आरती तेरी

हे प्रिया पति मैं करूं आरती तेरी

तुझपे ओ कान्हा बलि बलि जाऊं

सांझ सवेरे तेरे गुण गाऊ

यह माटी का मन है तेरा

मन और प्राण भी तेरी

मैं एक गोपी तुम हो कन्हैया

तुम हो भगवान मेरे

कृष्ण कृष्ण कृष्ण राटे आत्मा मेरी

कृष्ण कृष्ण कृष्ण राटे आत्मा मेरी

हे गोपाल कृष्ण करू आरती तेरी

हे प्रिया पति मैं करूं आरती तेरी

तुझपे ओ कान्हा बलि बलि जाऊं

सांझ सवेरे तेरे गुण गाऊ

कान्हा तेरा रूप अनूपम,मन को हरता जाए

कान्हा तेरा रूप अनूपम, मन को हरता जाए

मन ये चाहे हर पल अखियां तेरा ही दर्शन पाए मन ये चाहे हर पल अखियां, तेरा ही दर्शन पाए

दरस तेरा प्रेम तेरा आस है मेरी

दरस तेरा प्रेम तेरा आस है मेरी

हे गोपाल कृष्ण करू आरती तेरी

हे प्रिया पति मैं करूं आरती तेरी

तुझपे ओ कान्हा बलि बलि जाऊं

सांझ सवेरे तेरे गुन गांऊ

प्रेम में रंगी, मै रंगी भक्ति में तेरी

प्रेम में रंगी, मै रंगी भक्ति में तेरी

हे गोपाल कृष्ण करू आरती तेरी

हे गोपाल कृष्ण करू आरती तेरी

तुझपे ओ कान्हा बलि बलि जाऊं

सांझ सवेरे तेरे गुन गांऊ

Hey Gopal Krishna Karu Aarti Teri

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हो हो हो आ आ आ

हे गोपाल कृष्णा करूँ आरती तेरी

हे प्रिया पति मैं करूँ आरती तेरी

तुझपे ओ कान्हा बलि बलि जाऊँ

सांज-सवेरे तेरे गुण गाउँ

प्रेम में रंगी मैं

रंगी भक्ति में तेरी

हे गोपाल कृष्णा करूँ आरती तेरी

हे प्रिया पति मैं करूँ आरती तेरी

ये माटी का तन है तेरा

मन और प्राण भी तेरे

मैं एक गोपी, तुम हो कन्हैया

तुम हो भगवन मेरे

कृष्णा कृष्णा कृष्णा रटे आत्मा मेरी

हे गोपाल कृष्णा करूँ आरती तेरी

हे प्रिया पति मैं करूँ आरती तेरी

ओ कान्हा तेरा रूप अनुपम

मन को हरता जाये

मन ये चाहे

हरपल अंखियां, तेरा दर्शन पाये

दर्श तेरा, प्रेम तेरा, आश है मेरी

हे गोपाल कृष्णा करूँ आरती तेरी

हे प्रिया पति मैं करूँ आरती तेरी

तुझपे ओ कान्हा बलि बलि जाऊँ

सांज-सवेरे तेरे गुण गाउँ

प्रेम में रंगी मैं

रंगी भक्ति में तेरी

हे गोपाल कृष्णा करूँ आरती तेरी

हे प्रिया पति मैं करूँ आरती तेरी

Shri Krishna Aarti

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मैं आरती तेरी गाऊं हे, केशव कुंज बिहारी

मैं नित नित शीश नवाऊ,

ओ मोहन कृष्ण मुरारी

मैं आरती तेरी गाऊं हे, केशव कुंज बिहारी

है तेरी छवि अनोखी,

ऐसी ना दूजी देखी

तुझसा ना सुंदर कोई

ओ मोर मुकुट धारी

मैं आरती तेरी गाऊं हे, केशव कुंज बिहारी माखन की मटकी फोड़ी,

गोपीन संग अखियां जोड़ी

ओ नटखट रसिया तुझ पे

जाऊ अब मै तो बलिहारी

मैं आरती तेरी गाऊं हे, केशव कुंज बिहारी अंगुली पर गिरी उठाया,

सारे गोकुल को बचाया

जय जय हो तेरी जय हो

गिरिराज धरण गिरधारी 

मैं आरती तेरी गाऊं हे, केशव कुंज बिहारी जब-जब तू बंसी बजाए,

सब अपनी सुध खो जाए

तू सबका सब तेरे प्रेमी

ओ कृष्ण प्रेम अवतारी

मैं आरती तेरी गाऊं हे केशव कुंज बिहारी

जाए शरण तिहारी

विपदा मिट जाए सारी

हम सब पर कृपा रखना

ओ जगत के पालन हारी

मैं आरती तेरी गाऊं हे केशव कुंज बिहारी

मोर मुकुट गिरधारी

राधा संग प्रीत लगाई

प्रीत रीत चलाई

तुम राधे रानी की प्रेमी

जय राधे रास बिहारी

तुम राधे रानी की प्रेमी

जय राधे रास बिहारी

मैं आरती तेरी गाऊं हे केशव कुंज बिहारी

Achyutam Keshavam

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अच्चुतम केशवं कृष्ण दामोदरं,

राम नारायणं जानकी बल्लभम ।

 

कौन कहता हे भगवान आते नहीं,

तुम मीरा के जैसे बुलाते नहीं ।

 

अच्चुतम केशवं कृष्ण दामोदरं,

राम नारायणं जानकी बल्लभम ।

 

कौन कहता है भगवान खाते नहीं,

बेर शबरी के जैसे खिलाते नहीं ।

 

अच्चुतम केशवं कृष्ण दामोदरं,

राम नारायणं जानकी बल्लभम ।

 

कौन कहता है भगवान सोते नहीं,

माँ यशोदा के जैसे सुलाते नहीं ।

 

अच्चुतम केशवं कृष्ण दामोदरं,

राम नारायणं जानकी बल्लभम ।

 

कौन कहता है भगवान नाचते नहीं,

गोपियों की तरह तुम नचाते नहीं ।

 

अच्चुतम केशवं कृष्ण दामोदरं,

राम नारायणं जानकी बल्लभम ।

 

नाम जपते चलो काम करते चलो,

हर समय कृष्ण का ध्यान करते चलो ।

 

अच्चुतम केशवं कृष्ण दामोदरं,

राम नारायणं जानकी बल्लभम ।

 

याद आएगी उनको कभी ना कभी,

कृष्ण दर्शन तो देंगे कभी ना कभी ।

 

अच्चुतम केशवं कृष्ण दामोदरं,

राम नारायणं जानकी बल्लभम ।

Bala Jo Jo Re Shri Krishna Palna

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‘बाळा जो जो रे कुलभूषण । श्रीनंदनंदना ।।

निद्रा करि बाळा मनमोहना । परमानंदा कृष्णा ।। बाळा ।।धृ।।

जन्मुनि मथुरेत यदुकुळ । आलासी वनमाळी ।।

पाळणा लांबविला गोकुळीं। धन्य केले गौळी ।। बाळा जो जो रे ।। १ ।।

बंदीशाळेत अवतरूनी । द्वारे मोकलुनी ।।

जनकशृंखला तोडूनी । यमुना दुभंगोनी ।। बाळा जो जो रे ।। २ ।।

मार्गी नेतांना श्रीकृष्ण मेघनिवारणा ॥

शेष धांवला तत्क्षणी । उंचावूनी फणा ।। बाळा जो जो रे ।। ३ ।।

रत्नजडित पालख । झळके अमोलिक ।।

वरती पहुडले कुलतिलक । वैकंठनायक।। बाळा जो जो रे ।। ४ ।।

हालवी यशोदा सुन्दरी । धरूनि हाती ज्ञानदोरी ।।

पुष्ये वर्षिली सुरवरी। गर्जति जयजयकारी ।। बाळा जो जो रे ।। ५ ।।

विश्वव्यापक यदुराया । निद्रा करी बा सखया ।।

तुजवरी कुरवंडी करूनियां । सांडिन मी निज काया।। बाळा जो जो रे ।। ६ ।।

गर्ग येऊनि सत्वर । सांगे जन्मांतर ।।

कृष्ण परब्रह्म साचार । आठवा अवतार ।। बाळा जो जो रे ।। ७ ।।

विश्वव्यापी हो बालक दुष्ट दैत्यांतक ।।

प्रेमळ भक्तांवा पालख । श्री लक्ष्मीनायक ।। बाळा जो जो रे ।। ८ ।।

विष पाजाया पूतना । येतां घेई प्राणा ।।

शकटासुराशी उताणा । पाडिले लाधे जाणा ।। बाळा जो जो रे ।। ९ ।।

उखळा बांधता मातेनें । रांगतां श्रीकृष्ण ।।

यमलार्जुनाचे उद्धरण । दावानळ प्राशन ।। बाळा जो जो रे ।। १० ।।

गोधन पखितां आळविला । कालिया मर्दीला ।।

दावानळ वन्ही प्राशिला । दैत्यविध्वंस केला ।। बाळा जो जो रे ।। ११ ।।

इंद्र कोपतां धावुन । उपटी गोवर्धन ।।

गाई गोपाळां रक्षुन । केले वनभोजन ।। बाळा जो जो रे ।। १२ ।।

कालिंदी तीरी जगदीश । ब्रजवनितांशी राम ।।

खेळुनि मारिलें कंसास । चाणूरास ।। बाळा जौ०।।

ऐशी चरित्रे अपार । पावुनि भूमीवर ।।

पांडव रक्षिले सत्वर । ब्रह्मानंदी स्थिर ।। बाळा जो जो रे ।।

Radha Krishna Ki Jyoti Alokik

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राधे कृष्ण की ज्योति अलौकिक

तीनो लोक में छाए रही है

भक्ति विवश एक प्रेम पुजारन

फिर भी दीप जलाय रही है

कृष्ण को गोकुल से राधे को

बरसाने में बुलाय रही है

दोनों करो स्वीकार कृपा कर

जोगन आरती का गाय रही है

भोर भये ते सांज ढ़ले तक,

सेवा कौन इतनेम म्हारो ।

स्नान कराये वो वस्त्र ओढ़ाए वो,

भोग लगाए वो लागत प्यारो ।

कबते निहारत आपकी ओर…

कबते निहारत आपकी ओर,

की आप हमारी और निहारो ।

राधे कृष्ण हमारे धाम को,

जानी वृन्दावन धाम पधारो ।

राधे कृष्ण हमारे धाम को,

जानी वृन्दावन धाम पधारो ।

Significance Of Singing Krishna Ji Ki Aarti

Krishna Ji Ki Aarti, including but not limited to,’Bala Jo Jo Re: Shri Krishna Palna,’ is a central part of the worship of Lord Krishna. This devotional hymn is generally performed during religious and auspicious events such as on Janmashtami, the birth anniversary of Lord Krishna. Apart from this, every Wednesday is also considered favorable for the worship of Lord Krishna, and thus, the Aarti can be performed on this day. However, the devotees can choose to perform aarti at any time as it is believed worshiping Lord Krishna can eliminate obstacles and bring happiness, success, and prosperity in the life of the devotee. 

Process And Customs of Performing Krishna Ji Ki Aarti

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Performing the Krishna Ji Ki Aarti, follows a few traditional steps and has certain religious customs associated with it. The process of Aarti involves a ceremony of light or flame; it is performed one to five times daily, and usually at the end of a puja (worship) or bhajan (devotional song) session.

Here are the general steps performed:

The Krishna Ji Ki Aarti is said to provide various spiritual benefits such as good health, prosperity, success, and peace. It is believed to dispel all evils, release the soul from the cycle of birth and death, and provide eternal salvation[2%5E][3%5E]. It's commonly performed on most auspicious occasions related to Lord Krishna, including Krishna Janmashtami.

Benefits Of Singing Krishna Ji Ki Aarti

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Singing Krishna Ji Ki Aarti, or any devotional hymn, can indeed offer several benefits, both spiritual and psychological, supporting an individual's holistic well-being.

Performing devotionals like Aarti Kunj Bihari Ki may help individual in the following ways:

  1. Spiritual Enlightenment: Singing Aarti is often viewed as a way to reach spiritual enlightenment and awakening. It can deepen the connection between faithful individuals and the divine, ultimately resulting in a profound spiritual experience.
  1. Peace of Mind: Harking back to the meditative roots of devotionals, joining in Aarti offers room for the mind to relax, alleviating tension and instilling inner peace.
  1. Pure Environment: The Aarti ritual is also a purification practice, cleansing the immediate environment. The flame from the lamps used in Aarti dispels darkness while the bells' sound vibration can counteract negative energies.
  1. Expression of Devotion: Aarti enables devotees to express their affection and dedication for the deity. This ritual creates a conduit connecting the devotees' emotions and feelings with God.
  1. Enhances Focus and Concentration: Being part of an Aarti ritual encourages focus since it involves zeroing in on the deity and the lyrics, thus honing concentration and mindfulness.
  1. Prosperity: Regularly performing Aarti may call onto oneself prosperity and opulence].
  1. Karma Cleaning: Often as part of Bhakti Yoga, Aarti is considered to help 'burn out' personal Karma leading to liberation from the cycles of birth and death.

While these benefits are largely attested, it's important to note that the impact, experiences, and benefits derived from Aarti can be subjective and could differ among individuals based on their personal beliefs, faith, and dedication.

Krishna Ji Ki Aarti Images And PDF

Krishna Ji Ki Aarti Images

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Frequently Asked Questions

Why is Janmashtami 2 days?
When is it ideal fast for Janmashtam?
Who is the wife of Krishna?
When was Krishna born and died?
What is Janmashtami and why is it celebrated?
Was Krishna born at midnight?
What time Krishna was born?
What is the timing of Janmashtami Puja?
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